दुर्लभ मनुष्य जन्म हैं,देह न बारम्बार

दुर्लभ मनुष्य जन्म हैं, देह न बारम्बार तरुवर ज्यों पत्ता झड़े,बहुरि न लागे डार कहते हैं की कोई जन्मों के बाद मनुष्य जन्म मिलता हैं।मानव देह भी ईश्वर का आशीष हैं मनुष्य को। अतः मनुष्य जन्म का सदुपयोग कर संसार के सभी प्राणीयों के कल्याण के कार्य करना उचित हैं। कबीर दास जी कहते हैंपढ़ना जारी रखें “दुर्लभ मनुष्य जन्म हैं,देह न बारम्बार”

धीरे धीरे रे मना,धीरे सब कुछ होय

धीरे धीरे रे मोना, धीरे सब कुछ होय माली सींचे सो घडा ऋतू आये फल होय भाग दौड़ से भरी जीवन मे लोगों के मन मे हताशा ने घर बना लिया हैं। प्रतिस्पर्धा के इस दौर मे लोग जल्दी जल्दी कामयाबी पाना चाहते हैं।कोई भी धीरज के साथ अपने कर्मफल का ईन्तजार करना नहीं चाहतापढ़ना जारी रखें “धीरे धीरे रे मना,धीरे सब कुछ होय”

तन को जोगी सब करे, मन को विरला कोय

तन को जोगी सब करे,मन को विरला कोय सहजे सब बिधि पाइए,जो नाम जोगी होय लोग अपने तन को साफ़ रखने में जूते रहते हैं सुबह शाम अपने तन को साफ़ करने लिए नहाते हैं ।पूजा करनी हो या मंदिर जाना हो पहले नहा कर अपने तन को साफ़ कर लेते हैं पर अपने मनपढ़ना जारी रखें “तन को जोगी सब करे, मन को विरला कोय”

जग में बैरी कोई नहीं, ज मन शीतल हुए

जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होययह आपा तो डाल दे,दया करे सब कोय यह दुनिया वैसा हैं जैसा हम सोचते हैं जैसा हमारा बिचार होता हैं। अगर हमारा मन साफ़ हैं और हमारे मन में कोई खोट नहीं हैं तो कोई हमसे बैर नहीं रख सकता कोई हमारा बुरा नहीं चाह सकतापढ़ना जारी रखें “जग में बैरी कोई नहीं, ज मन शीतल हुए”

कागा का को धन हरे,कोयल का को देय

कागा का को धन हरे,कोयल का को देय मीठे वचन सुना के,जग अपना कर लेय जो दो मीठे बोल बलना जानता हैं पूरी दुनिया उसकी मुट्ठी में होता हैं। अपने हो या पराये सभी उनसे बातें करना पसंद करते हैं। अगर आप मीठी बातें बोलना जानते हैं तो आप कभी किसी मुस्किल में नहीं घिरपढ़ना जारी रखें “कागा का को धन हरे,कोयल का को देय”

संत न छाडे संतई,जो कोटिक मिले असंत

संत न छाडे संतई,जो कोटिक मिले असंत चन्दन भुवंगा बैठिया,तऊशीतलता न तजंत लोगो को अक्सर यह कहते हुए सुना जाते हैं की संगत के कारन ही बच्चे बिगड जाते हैं। पर अगर हम गोर करे तो देखेंगे बच्चे बिगड़ते ही नहीं उनकी नादानिया हमें परेसान कर सकती हैं पर किसीका नुकसान नहीं कर सकती क्युकीपढ़ना जारी रखें “संत न छाडे संतई,जो कोटिक मिले असंत”

पाहन पूजे हरी मिले तो में पुजू पाहर

पाहन पूजे हरी मिले तो में पुजू पाहार ताते यह चाकी भली पिस खाए संसार इस संसार को बनानेवाले की शक्ति का एहसास हम सबको हैं। और इसीलिए उनके सामने हम श्रद्धा से शीश झुकाते हैं उनकी स्तुति करते हैं। इस्वर संसार के हर कण में बसे हुए हैं उन्हें देखने के लिए हमे अपनेपढ़ना जारी रखें “पाहन पूजे हरी मिले तो में पुजू पाहर”

दोस पराए देखि करी चला हसंत हसंत

दोस पराए देखि करी चला हसंत हसंत, अपने याद न अवाई जिसका आदि न अंत।। हमे अपनी गलतियाँ कभी नजर ही नहीं आती हमे लगता हैं की हम जो भी करते हैं वही सही हैं ।हम कोई गलती कैसे कर सकते हैं क्युकी हम सब जानते हैं गलतियाँ सिर्फ दुसरे लोग ही करते हैं क्युकीपढ़ना जारी रखें “दोस पराए देखि करी चला हसंत हसंत”

रुखी सुखी खाइके,ठंडा पानी पीव

रुखी सुखी खाय के ,ठंडा पानी पिव देख पराई चुपरी,मत ललचावे जीव संतुष्टि इंसान के जीवन के लिए बहत महत्वपूर्ण हैं ।अपने जीवन में मिले किसी भी उपलब्धि से हमे सन्तुष रहना चाहिए क्युकी इस्वर हमे वही देते हैं जो हमारे लिए सही हैं। वह हमे उसी परिस्थिति में रखते हैं जहा हम सबसे अच्छापढ़ना जारी रखें “रुखी सुखी खाइके,ठंडा पानी पीव”

रात गंवाई सोय के,दिवस गंवाई खाई

रात गंवाई सोय के,दिवस गंवाई खाई ।हीरा जन्म अनमोल सा,कोडी बदले जाय ।। मुनष्य जन्म अनमोल हैं पर लोग इस बात को नहीं समझ पाते और युही इस्वर के दिए इस अनमोल जीवन को बिता देते हैं। हम अपने जीवन काल में दो ही कर्म करने में अपना पूरा पुरषार्थ लगा देते हैं जिनकी जरुरतपढ़ना जारी रखें “रात गंवाई सोय के,दिवस गंवाई खाई”

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